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अब्दुल रशीद सिंगरौली मध्या प्रदेश
हम लोग इस बात का डंका अक्सर बजाया करते है कि पुरुष व महिला बराबर का अधिकार रखते हैं लेकिन यह बात हकीक़त से कोसो दूर नजर आती है। क्योंकि कोई लड़का दहेज़ के लिए नही जलाया जाता है किसी लड़के को रिस्तो के नाम पर अपने सपने का गला घोंट कर त्याग नहीं करना पड़ता है। यह नारी समाज़ पर व्यंग नहीं तो क्या है? हम शब्दों के जाल बुनकर भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर मरहम तो जरुर लगा सकते हैं लेकिन हकीक़त को नहीं बदल सकते हकीक़त अपनी दास्तां समय समय पर दुनियाँ को सुनाती रहती है और सुनाती रहेगी। मध्य प्रदेश जहाँ तमाम सरकारी योजना है महिलाओं के विकाश के नाम पर फिर भी महिलाओं को जिन्दा जलाने जैसी दिल को दहलाने वाली घटनएं भी होती है। मात्र तीन साल(2008 से अप्रेल 2011तक) में ही मध्य प्रदेश में 343 महिलाओं को जिन्दा जलाया गया। इस मामले में ग्वालियर जिले में सर्वाधिक 23 महिलाओं को जिन्दा जलाया गया। वहीँ दतिया में 21,इन्दौर में20,सागर में17,छिन्दवारा व विदिशा में 15-15 सतना में 13,भोपाल में 12, नरसिंहपुर में11,राजगढ व जबलपुर में में 10-10 महिलाओं को जिन्दा जलाया गया। इसी तरह देवास ,Bभिण्ड,शिवपुरी व छतरपुर में 9-9 डिंडौरी,कटनी,धार में 8-8 मंदसौर,उज्जैन,बडवानी व मुरैना में 7-7,टीकमगढ़,गुना,खरगौन व हरदा में 6-6 रायसेन,होशंगाबाद,अशोक नगर,सीहोर व मंडला में 5-5 नीमच व शाजापुर में 4-4,बैतूल व खंडवा में 3-3,रीवा,बुरहानपुर में2-2,तथा पन्ना,रतलाम,झबुआ,सिंगरौली व उमरिया में 1-1 महिला को जिन्दा जलाया गया।
स्रोत- भस्कर/डेलीन्यूज
यह एक खौफनाक घटना है दमोह जिले के बरखेरा गांव का जहां एक पति अपनी ही पत्नी का खून पीता था।22 साल की दीपा अहिरवार की शादी तीन साल पहले बड़ी धूमधाम से हुई थी लेकिन उसने कभी सपने में भी नहीं सोंचा होगा कि उसका पति दहेज के लिए उसके साथ ऐसा करेगा के जिससे मानवता की रुह कांप जाएगी । दीपा का पति महेश सिरिंज से उसके शरीर का खून निकालता और उसके सामने ही पी जाता।महेश की हैवानियत का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने यह घिनौना काम तब भी किया जब उसकी पत्नी गर्भवती थी। दीपा अब अपने पिता के घर अपने पुत्र के साथ रह र्ही है। अपने हैवान पति से खौफज़दा है अपनी सुरक्षा व हैवान पति को सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रही है।
यह खबर महज़ खबड़ नहीं है हकीक़त का वह आईना है जिसमें लड़का लड़की को समान कहने वाले लोगों कि असलियत नज़र आती है तथा समाज के नाम पर पाखण्ड करने वालो का विकृत चेहरा नज़र आता है।
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