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अनोखा विकास

आवाज़-ए-हिन्द
आवाज़-ए-हिन्द
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जी हाँ मैं विकास कि बात कर रहा हूँ उसी विकास कि जिसकी गूँज हर तरफ है।विकास कि चर्चा हर खास व आम कि ज़ुबान पर है। हर राजनैतिक पार्टी का यह एजेंडा है।सरकारी खजाने से विकास के नाम पर खूब पैसा खर्च किया जाता है। लेकिन आम जनता है के इतना खर्चा और चर्चा के बाद भी विकास को समझने व देखने में असमर्थ है।विकास कभी चुनावी होता है और कभी सरकारी लेकिन आम नही होता। भला खास चीज आम हो सकती है इतनी सी बात आम जनता को समझ नही आ रही आम लोग है ना खास लोगों की खास बात नही आती समझ,खैर आज कल विकास शब्द अपनी कामयाबी पर खूब इतराता है इतराए भी क्यों न नेताओं का भाषण हो या सरकारी मीटिंग विकास शब्द के बगैर सब अधुरा रहती है। विकास शब्द अब तो वी वी आई पी बन गया है आम लोग है की अब भी अपनी शब्दकोष में तलाश रही है।
चुनावी विकास – अर्थात ख्याली पुलाव- चुनाव आते विकास के बडे बडे घोषणा, वादों के सब्ज़बाग से रची विकास गाथा का राष्ट्रीय प्रसारण शूरू हो जाता है। भाई आम जनता नेता जी का तो काम है जाल फैलाना आप सच मान लेते हो तो आपकी गलती है। नेता जी तो विकास कि बात चुनावी माहौल में कहते हैं जिस बात का कोई मतलब न तो कानूनी तौर पर होता है नही व्यक्तिगत रुप से नेता जी के लिए होता है। अब अपने देश के कानून और नेता जी के व्यक्तित्व पर इस गरीब का स्याही खर्च मत करवाए बस समझ लीजिए नहीं समझेंगे तो फिर फंसने के लिए तैयार रहिए आने वाले चुनाव में।
सरकारी विकास – अर्थात घोटाला के अथक प्रयास से होने वाला कार्य – विकास के लिए सरकार बजट बनाती है उसे खर्च करने का रुप रेखा तैयार किया जाता है,और योजनाबद्ध तरीके से पैसा निकाल कर विशेष तरीके से खर्च किया जाता है भाई सरकारी पैसा है एक एक पैसा का हिसाब रखना पड़ता है,नहीं तो छुट्टी तिहार में मनाना होगा। फिर भी आम जनता कहती है विकास नहीं दिखता है दरअसल आप देखना हि नही चाहते हैं बजट बनाने से लेकर खर्च तक सारा काम तो सरकारी गरीब कर्मचारीवर्ग ही करता है और यह सब आपके द्वारा चुने गए गरीब नेता के देख रेख और आदेश पर होता है सबसे बड़ा रिस्क तिहाड़ उसका टेनसन अलग से है। तो पहला हक किसका होगा आपका या जो बेचारे दिन रात मेहनत कर योजनाओं को पुरा करने का काम व तिहाड़ क टेनसन ले रहें हैं उनका होगा।
अब ज़रा नज़र भर के देखिए नेता व सरकारी कर्मचारी कितनी तेजी से विकास कर रहें हैं। इन विकासकर्ताओं की इमानदारी तो देखिए आपका एहसान नहीं भूले तभी तो हरवक्त कहते हैं हम जनता के सेवक हैं और जनता ने हि हमें इस योग्य बनाया के हम विकास कर सकें।
बेलाग लपेट
यह विकास नहीं तो क्या गरीब देश के गरीब जनता का कोई नेता गरीब नहीं।
जरा गौर कीजिए जो चीज हम खाते हैं वह मंहगा होता है और ये गरीब कितना सस्ता खाना खाते हैं
JUST SEE WHO ARE THE REAL POORS IN INDIA…..!!!
PRICE LIST OF FOOD AT THE PARLIAMENT CANTEEN..
TEA=1.00
SOUP=5.50
DAAL=1.50
MEALS=2.00
CHAPATI=1.00
CHICKEN=24.50
DOSA=4.00
BIRYANI=8.00
FISH=13.00

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