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नियति के साथ भेंट
अब्दुल रशीद (सिंगरौली मध्य प्रदेश)
15अगस्त 1947
ब्रिटिश गुलामी से मुक्त्ति का वह यादगार लम्हा जिसे हासिल करने के लिए आजादी के परवानों ने कुर्बानियां दी।
14 अगस्त 1947 के रात 11बजे संघटक सभा द्वारा भारत की स्वतंत्रता को मनाने की एक बैठक आरम्भ हुई जिसमें अधिकार प्रदान किए जा रहे थे।जैसे ही घड़ी में रात के 12बजे भारत को आजादी मिली और स्वतंत्रत भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने अपना “नियति के साथ भेंट” भाषण दिया। भाषण के बाद तिरंगा लहराया गया और राष्ट्र्गान गूँज उठा।
“जैसे ही मध्य रात्रि हुई और जब सारी दुनिया सो रही थी भारत जाग रहा होगा और अपनी आजादी की ओर बढेगा । एक ऐसा पल आता है जो इतिहास में दुर्लभ है जब हम पुराने युग से नए युग की ओर जाते हैं। क्या हम इस अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रयाप्त बहादुर और बुद्धिमान हैं ? और हम भविष्य की चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है?”
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम प्लासी के संग्राम 1757 से आरम्भ हुआ माना जा सकता है। यद्यपि 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आरम्भ माना जाता है। स्वतन्त्रता के दो मुख्य हथियार थे सत्य और अहिंसा। और आजादी के 6 दसक बाद दोनों हथियार बेमानी हो गए हैं?
महत्वपूर्ण
संविधान – (डां0 भीमराव अम्बेडकर) कुल 395 अनुच्छेद और औरों अनुसूचियों के साथ दुनिया में भारतीय संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
राष्ट्रगान – जनगण मन अधिनायक (गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने लिख़ा है।)
राष्ट्रगीत – वंदे मातरम (बंकिम चंद चटर्जी ने लिखा है)
राष्ट्रध्वज – तिरंगा
केसरिया– साहस,त्याग, और देशभक्ति का प्रतीक है,
श्वेवत – धर्म चक्र के साथ शांति, सत्य और एकता का प्रतीक है,
गहरा हरा – आस्था, समृद्धि और भूमि की पवित्रता का प्रतीक है।
(पिंगाली वैंकेया-जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए तीन रंगों और चक्र को आकार-प्रकार दिया और तिरंगा बनाया।)“
स्वतन्त्रता संग्राम और तिरंगा बनाने का काम, मेरठ के महत्वपूर्ण इतिहास को सलाम”
राष्ट्रपिता और जश्ने आजादी
पूरा देश 15अगस्त 1947 को जब आजादी का जश्न मना रहा था उस समय एक शख्स ऐसा भी था जो ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्त्ति के इस महोत्सव में शामिल नहीं था। वह बड़ी खामोशी के साथ राजधानी दिल्ली से दूर कोलकात्ता में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच शांति सौहार्द कायम करने के काम में लगा हुआ था। वह शख़्स कोई और नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे।जिन्होंने आजादी के दिन को अनशन करके मनाने का फैसला किया।
आज भारत में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बीमारी, बेईमानी अपने चरम पर है। देश के ज्वलंत मुद्दों को लेकर अन्ना हजारे 16 अगस्त 2011 से अनशन करने वाले हैं।
लेकिन लाख टके का सवाल यह है, क्या अन्ना भ्रष्टाचारीयों के छल कपट को पार कर सत्य की जीत दिलाने में सफल हो पाएँगे?
15अगस्त2011 का खास आयोजन
हिमालयन एडवेंचर्स -15 अगस्त के मौके पर 17200 फीट ऊंचाई पर स्थित पेंगोग लेक के पास हाँकी मैच होगा।
आज स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाते समय इस बात पर ईमानदारी से विचार करें, क्या आजादी के लिए कुर्बान अमर शहीदों के सपनो का भारत बनाने में सफल हो सके हैं?
रिश्वत न लें रिश्वत न दें। क्योंकि रिश्वत के चंद रुपए आपकी अनमोल नैतिकत को नष्ट करने के साथ साथ यह राष्ट्र के निर्माण में सबसे बड़ा अवरोधक है। “जय हिन्द”
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